भाई- बहन का प्यार-भैया दूज
भाई- बहन का प्यार-भैया दूज
कुटुंब तो भारतीय संस्कृति का, एक मुख्य ही है आधार,
मजबूती देते हैं इस संस्कृति को,बहुत हमारे सब त्यौहार।
आर्य समाज में हर रिश्ते की, है होती महिमा बड़ी अपार,
आला और निराला इन रिश्तों में,है भाई-बहना का प्यार।
फसल खरीफ कट जाने से , सभी दिलों में बड़ी है धूम,
शरद की मस्ती में सबका मन,रहा सातवें व्योम को चूम।
नवरात्रि से जो हैं शुरू हो गए , हर दिन एक नया त्यौहार,
आला और निराला इन रिश्तों में, है भाई-बहना का प्यार।
शक्ति-शस्त्र की की उपासना,शरद पूर्णिमा अमृत खीर,
दीपपंक्ति से मना दीपोत्सव,गहन अज्ञान को डाला चीर।
पशुधन के विकास की खातिर, मनाया गोवर्धन त्यौहार,
आला और निराला इन रिश्तों में , है भाई-बहना का प्यार।
शुक्ल द्वितीया कार्तिक मास का ,उत्सव बड़ा ही प्यारा है,
रक्षाबंधन सम प्यारा 'भैया दूज', का यह त्यौहार हमारा है।
शुभ भावों को है ये संजोए प्यारा, भ्रातृ-भगिनी का त्यौहार,
आला और निराला इन रिश्तों में , है भाई-बहना का प्यार।
भगवान सूर्य और छाया को था ,बड़ा ही निज बच्चों पर नाज,
यमुना नाम की प्यारी बेटी और,बड़ा ही प्यारा बेटा था यमराज।
यम कार्तिक शुक्ला को आया,यमुना का निमंत्रण कर स्वीकार,
आला और निराला इन रिश्तों में , है भाई -बहना का प्यार।
नरक निवासी जीव मुक्त कर, यम आया भगिनी के द्वार,
भाई को घर आया देखकर,हुआ था यमुना को हर्ष अपार।
अति प्रसन्न हो पूजा करके,सहोदर का किया बड़ा सत्कार ,
आला और निराला इन रिश्तों में , है भाई-बहना का प्यार।
अति प्रसन्न थे बहन और भाई, नहीं था हर्ष का पारावार ,
वर मांगने का किया जो आग्रह,मांगा यमुना वचन उचार।
तेरे भय मुक्त हो वह भाई जो, जाए इस दिन बहन के द्वार,
आला और निराला इन रिश्तों में , है भाई-बहना का प्यार।
