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Aarti Sirsat

Inspirational

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Aarti Sirsat

Inspirational

आज इंसान क्या से क्या हो गया

आज इंसान क्या से क्या हो गया

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..क्रोध, मोह, माया,

लोभ में आकर, इंसान प्रेम, शांति,

विश्वास, आशा जैसे शब्दों

से वंचित रह गया...

इसका जहर उसके कानों में

उसका जहर किसी और के

कानों में, इंसान जहर से भी

अधिक घातक बन गया...


खुद के घर में पर्दे लगाकर

औरों के घरों में ताक- झाँक

करने में, इंसान आज अपने

संस्कारों से कितना दूर हो गया...

रहती नहीं है खुद की खबर

लेकिन दूसरों की बुराई करने

में, आज का इंसान कितना

माहिर हो गया...


करता रहता है अपनी बड़ाइयाँ

औरों को नीचा दिखाकर,

ये सब देखकर उसका बेटा

भी आज जवां हो गया...

लाँघता जा रहा है अपनी सारी

सीमाएं, हो रहा है सभी से दूर

कोई तो काम कर ऐ भिखारी

आज तेरा झोला तो भर गया...

कट रही है जिन्दगी जैसे- तैसे

तू रह बेटा विदेश में,

किसान का बुरा हाल हुआ है आज

और एक लाल शहीद हो गया...

मर क्यों नहीं जाते तुम लोग क्या

काम है इस धरा पर तुम्हारा,

एक मजदूर को निकालकर इंसान

कितना समझदार हो गया...


आत्मनिर्भर हूँ कोई क्या जाने मैं कैसे

कमाता हूँ धरती चिर के अनाज उगाता हूँ

अकड़ धरी रह गई सारी आज और एक

किसान दो कौड़ी में नीलाम हो गया...

अपने बाप के सामने वो अपनी

माँ को गाली दे गया,

बाप सोच रहा है मेरा बेटा न

जाने कहां खो गया...


कोई नहीं है कसूरवार

एक दूजे को देखकर इंसान

आज सब अच्छाइयां और

बुराइयां सिख गया...

कोई तो हद होगी तेरे

अहंकार कि ये इंसान

आज तू क्यों इतना

कठोर बन गया...

दया के लायक कोई नहीं

रह गया इस धरा पर,

आज मुझे एक उदास बैठा

इंसान शराब पीते दिख गया...



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