विपरीत सवाल
विपरीत सवाल
शिकायतें तो बहुत होती हैं सभी कों
कभी शिकायतों से सोहब़त हुई हैं क्या ?
नुमाइशें तो हर कोई कर लेता हैं
कभी नुमाईशोंसे भी वफा की हैं क्या ?
इंनायतें भी हजारों होती है खुदा की
कभी इंनायातों से भी बग़ावत हुई हैं क्या ?
गुस्ताखियां तो करता रहता हैं जहां
पर कभी गुस्ताखियों से रज़ा की हैं क्या ?
तरस जाती हैं चांदनीं दिदार को चाॅंद के..
पर चाॅंद से सवालात कभीं कीसीनें कियें हैं क्या ?
मुश्किलों से मंजिलें होती हैं हांसिल किसी कों
फिर भी मंजिलों से कोई मुकम्मल हुआ हैं क्या ?