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Vishakha More

Abstract Classics

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विपरीत सवाल

विपरीत सवाल

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शिकायतें तो बहुत होती हैं सभी कों

कभी शिकायतों से सोहब़त हुई हैं क्या ?


नुमाइशें तो हर कोई कर लेता हैं 

कभी नुमाईशोंसे भी वफा की हैं क्या ?


इंनायतें भी हजारों होती है खुदा की

कभी इंनायातों से भी बग़ावत हुई हैं क्या ?


गुस्ताखियां तो करता रहता हैं जहां

पर कभी गुस्ताखियों से रज़ा की हैं क्या ?


तरस जाती हैं चांदनीं दिदार को चाॅंद के.. 

पर चाॅंद से सवालात कभीं कीसीनें कियें हैं क्या ?


मुश्किलों से मंजिलें होती हैं हांसिल किसी कों

फिर भी मंजिलों से कोई मुकम्मल हुआ हैं क्या ?


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