इक दीप जलाओ उनकी खातिर
इक दीप जलाओ उनकी खातिर
आज दिवाली है हर घर में
छलक रही खुशहाली है
देश में कुछ घर ऐसे भी हैं
जिनकी रातें काली हैं ,
बैठे हैं महफूज घरों में
हम त्यौहार मनाते हैं
याद करो कुछ उनकी जो
खुद न्योछावर हो जाते हैं ,
देश में है दिवाली
वो सीमा पर खेल रहे हैं होली
नकली बम फूटते है यहाँ
वो झेल रहे हैं असली गोली ,
रहे सलामत देश हमारा
वो सर्वस्व लुटाते हैं
हित मित्र सब भूल सदा ही
देश प्रेम धुन गाते हैं ,
ऐसे वीर जवानों को हमें
याद सदा ही रखना है
देश समस्त है संग तुम्हारे
परिजनों से यह कहना है ,
जगमग करते दीप जलाओ
खूब त्यौहार मनाओ तुम
याद हमेशा उनको रखना
क़ुरबानी भूल न जाओ तुम ,
हंसते हंसते ये जवान
सीमा पे शहीद हो जाते हैं
इसीलिए महफूज हैं हम
और हर त्यौहार मनाते हैं ,
दे दी जान जिन्होंने अपनी
हम सबकी खुशियों की खातिर
याद करो उनको भी तुम,
इक दीप जलाओ उनकी खातिर
इक दीप जलाओ उनकी खातिर ।
