हर कोई सेनानी है
हर कोई सेनानी है
हर कोई सेनानी है जो कर्तव्य पथ पर भागा है,
हो समर्पित देश हित पर जो रातों को जागा है,
नहीं बस वो ही जिसने दुश्मन पे गोला दागा है,
हर कोई सेनानी है जिसे देश प्रेम रंग लागा है।
निभाएं कर्त्तव्य सेनानी का समय वो आया है,
लड़ना है अब घर से सीमा पर नहीं बुलाया है,
नहीं लड़ाई अब सीमा पे हथियारों से होती हैं,
असली मंशाएं व्यापारों को हथियाना होती हैं।
जंगी तौर तरीकों में बदलाव बड़ा ही आया है,
सीमा छोड़ के दुश्मन अब घर में घुस आया है,
विदेशी छोड़ हमें बस देशी उत्पाद अपनाना है,
ये बातें अब हमें हर देशवासी को बतलाना है।
अपने फोन से विदेशी हर साॅफ्टवेयर हटाना है,
फल अपने श्रम का ना परदेश हमें पहुंचाना है,
सस्ते माल के फंदे में ना हमको फंस जाना है,
हो लाभ अपनों को ताना-बाना वो बनाना है।
अपने भाई बन्धु को अब आगे हमें बढ़ाना है,
जो हैं सोए गहरी नींद में उनको भी जगाना है,
जाल बहेलिए का चिड़ियों को ले उड़ जाना है,
बात पुराने किस्सों की सच कर दिखलाना है।
स्वदेशी को अपना जीवन अभियान बनाना है,
देश को फिर से सोने की चिड़िया कर जाना है,
है इतना ही अपेक्षित ना करना कोई बहाना है,
करें सेनानी साबित खुद को ये मौका सुहाना है।
अब तक सीमा पे सेनानी ने कर्तव्य निभाया है,
है सौभाग्य हमारा अवसर हमको मिल पाया है,
कह सकें कर सर्वस्व न्योछावर क्षण वो आया है,
बनके सैनिक हमने भी क़र्ज़ देश का चुकाया है।
जिसने भी कर्तव्य निभाया जो रातों को जागा है,
मन में बसा है देश, जिसे भी प्रेमरोग ये लागा है,
बंधा हैं वो जिस बंधन में देश प्रेम ही वो धागा है,
है हर कोई सेनानी जो कर्तव्य पथ पर भागा है।
