"गोवर्धन पूजा"
"गोवर्धन पूजा"
जब हुआ था,इन्द्र देव को अहंकार भारी
तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजने की,की तैयारी
कनिष्का पर उठाया था,गिरी विशालकारी
ओर कहलाये आप,प्रभु भगवान गिरधारी
इंद्र मद तोड़ा,आपने ही श्री कृष्ण मुरारी
तब से होने लगी,गोवर्धन पूजा चमत्कारी
कहते इसको अन्नकूट भी,सब ही नर-नारी
दिवाली अगले दिन,करते,अन्नकूट तैयारी
प्रातःबनाते गोबर गोवर्धनजी मूरत प्यारी
फिर लगाते चावल-चवलां भोग मधुकारी
मंदिर में श्रीकृष्ण लगाते भोग स्वादिष्टकारी
ऐसे मनाते अन्नकूट महोत्सव सुखकारी
गो,बैल पशुधन पर करते,सुंदर चित्रकारी
रात्रि को उन्हें भड़का,करते आतिशबाजी
पर आज के दौर में खो गई,संस्कृति हमारी
फोन खा गया,सांस्कृतिक विरासत हमारी
आओ इस अन्नकूट बने,हम आज्ञाकारी
बड़ो का करे चरण-स्पर्श,जो है,शुभकारी
गोधन को सहेजे,जो रहे बरसो,पालनहारी
कृष्ण से करे,प्रार्थना,खत्म करे,लंपि बीमारी।
