वीरांगना भाग प्राथम--
वीरांगना भाग प्राथम--
खंड खंड में बांटा मुल्क आपस में लड़ते भिड़ते लोग
तड़फ रही थी माँ भारती जन जन का मन व्यथित निराशा चहुं ओर।।
विश्वास में घुट घुट जीते गुलामी का दर्द दंश
वियोग साम्राज्य विस्तार के भूखे अंग्रेज।।
भाग्य भगवान को कोसता पल
प्रहर भारत आएगा कोई वीर गुलामी की बेड़ी को देगा भेद।।
उन्नीस नवम्बर अठारह सौ अट्ठाईस को काशी की पावन भूमि बनी गवाह
नारी गौरव गाथा लिखने वाली मणिकर्णिक भरत की पवन भूमि पे रखा कदम।।
पिता मोरोपंत माँ भागीरथी सापरे का सौभाग्य संयोग
तेजस्वी भारत की धन्य धरोहर तेजस्विनी नाम अनेक।।
छैल छबीली, मनु स्वर्णिम इतिहास रचने वाली
नारी शक्ति गरिमा गर्व।।
सन अठारह सौ बयालीस को
गंगाधर राव नेवालकर संग
शुभ मंगल विवाह जीवन खुशियों में सराबोर।।
अठारह सौ तिरपन में पति परमेश्वर पर काल की कुदृष्टि
साथ छोड़ दुनिया से विदा लिया
निसंतान लक्ष्मी बालक दामोदर को लिया गोद।।