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Madan lal Rana

Inspirational

4  

Madan lal Rana

Inspirational

मेरी मिल्कियत

मेरी मिल्कियत

1 min
335


मेरी अपनी मिल्कियत

बस एक मेरी लेखनी ही है

जिसे मैं बिल्कुल अपना जानता हूं

जिसके दम से मैं 

खुद को सर्वशक्तिमान मानता हूं

यह हाथ में आती है तो

विचारों में दिव्यता आती है

जिसकी दिव्य ज्योति में मैं

विचरता हूं और विचारता भी हूं

और गढ़ता हूं कल्पनाओं का संसार

इसी की गरिमा से उत्सर्जित

आबोहवा में मैं सांसें लेता हूं

इसके स्पर्श से मुझमें स्फूर्ति आती है

स्नेहिल स्पर्श से इसके

 चेहरे पर मेरे कांति आती है

इसके संसर्ग से मेरे

व्यक्तित्व में निखार आता है

सानिंध्य में इसके मैं

सम्पूर्ण ऐश्र्वर्य का अनुभव करता हूं

इसी के वरदहस्त् से मैं

धन्य-धन्य होता हूं

यह साथ है तो अतिशय गर्वित होता हूं

मेरी लेखनी मेेेरी 

आन बान और शान है

यह नहीं तो मैं नहीं

मेरी लेखनी ही मेरी जान है।



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