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एक अजीब सी पागल है

एक अजीब सी पागल है

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एक अजीब सी पागल है
खुद मुझे कभी कुछ
सोचने नहीं देती,
पर खुद दुनियाभर की
परेशानियों का पहाड़ अपने सिर
उठाये घुमती फिरती है
 
एक अजीब सी पागल है
जिसे बचपन में पापा की लिमिटेड सैलेरी में भी
मेरे सारे अनलिमिटेड खर्चे पता थे,
उन अनलिमिटेड खर्चों को पूरा करने के लिए पता नहीं
वो किन चीज़ों को लिमिटेड करती थी
 
एक अजीब सी पागल है
जो ऑफिस में बार-बार फोन करके
बस ये पूछती है कि
खाना खाया? तो क्या खाया?
और नहीं खाया, तो क्यों नहीं खाया?
अब उस पागल को क्या बताऊ
कि काम के प्रेशर और
सिगरेट के धुंए के बीच
आज फिर उसकी बनाई

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लौकी की सब्जी और
पराठें बैग में ही रह गये
 
एक अजीब सी पागल है
जो बचपन में मुझे मारने के बाद
खुद बिस्तर में जा कर
रोया करती थी,
कभी गलती से रूठ भी जाता
तो चुपचाप मेरे बगल में
आकर तेल में डूबी उंगलियां
बालों में घुमाती थी
 
एक अजीब सी पागल है
जो अपनी आंखों से मेरे लिए
जाने कैसे-कैसे हसीं ख़्वाब देखती है
और उन ख़्वाबों को पूरा करने के लिए
न जाने कितने ही देवताओं से दुआ करती है.
 
सच में ये मां भी
एक अजीब सी पागल है
जो बिना खुद किसी ख्वाहिश के
हमारी ख्वाहिशों के लिए मरती रहती है...
 


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