उंगलियां लाख उठाओ
उंगलियां लाख उठाओ
उंगलियां लाख उठाओ मेरे किरदारों पर
अपनी ही धुन में मुझे पाओगे,
अपनी नजरों में बस हया रखना
मेरे किरदार में खुद जो आओगे।
लाख कर लो कई सितम मुझ पर
हर सितम की यही सजा होगी
माफ़ ऐसे करेंगे तुमको हम
खुद की नज़रों में ना उठ पाओगे
हम वही पाएंगे जो बोया है
देगा कर्मों का सब हिसाब वही
किसी बेबस का चैन छीन के तुम
किस तरह सुख की नींद पाओगे ?