हिमालय ..... एक दर्शन
हिमालय ..... एक दर्शन
पल-पल परिवर्तित सौंदर्य का खजाना
ब्रह्मांड का सबसे नायाब नजारा
टिमटिमाते बिखरकर आसमान में तारे
झालर बिछाते जहां हिमालय की गोद है।
जादू भरे यह क्षण मखमली
रंग-बिरंगी फूलों के बाग कहीं
यहां घाटियां गहरी, पाताल नापती
वादियां बर्फ से ढकी हुई है।
संकरे, घुमावदार, वीरान रास्ते
साथ में बहती नदियाँ, झरने
ऊपर मंडराते आवारा बादल
कहीं सामने से उठती धुंध है।
सर्दियों में जल संग्रह करना
पिघलकर गर्मियों में जलधारा का रूप
नायाब ढंग से सारा इंतजाम करती
प्रकृति की अपनी गति, लय और ताल है।
सांस लेती नन्ही बस्तियाँ
अद्भुत शांति वातावरण में फैली
दौड़ -धूप से दूर जिंदगी यहाँ की
सुख और सुकून अखंडित है।
हरे-भरे चाय के बागान
पत्तियाँ तोड़ती युवतियों के बोल
कहीं कोई पहाड़ी औरतें
कुदाल से तोड़ती पत्थर भी है।
इस स्वर्गीय सुंदरता के बीच
श्रम साधन करते जब लोग
जिंदा रहने की यह जंग देखकर
मन में गम, घर कर जाता है
यह तो आम जनता की हालत
भारत के हर कोने में दिखती
गहराता नहीं पर इसका प्रभाव
खूबसूरती की इस ख़ान पर है।
देवी-देवताओं का निवास यहाँ पर
स्वर्ग की जिसे उपमा मिली
रोमांचित, पुलकित मन हो उठता
एक दर्शन सा लगता, यह हिमालय है ......
