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Madan lal Rana

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Madan lal Rana

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अंतिम सत्य

अंतिम सत्य

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ज़माने की रौ में,,,

पल-पल वो पल गया.!

संजोया था जो बदन,,

तिल-तिल वो ढल गया.!

कोशिशें लाख की होंगी,,

खुद को रोकने की मगर.!

गुमान था जिस जिस्म पर,,

आखिरकार वो जल गया.!!



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