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Madan lal Rana

Inspirational

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Madan lal Rana

Inspirational

किसान

किसान

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कोयल बोलने से भी पहले,

उठता है बिस्तर से जो मुंह अंधेरे.!

लेकर हल और बैलों की जोड़ी,

चल पड़ता है खेतों को सवेरे सवेरे.!

नहाने की चिंता ना खाने की फिक्र,

रहता नहींं जिसे तनिक अपनी सुध.!

 मिट्टी जिसके साथी बैलें हमसफ़र,

रहता मगन जो अपने में खुद.!

पसीना एड़ी चोटी का करके जो एक,

फाड़ धरती का सीना उगाता फसल.!

खुद भूखे रहकर हमें है खिलाता,

कर्म पे अपने जो रहता अटल.!

कर्म प्रधान को जो कर रहेे चरितार्थ,

अन्न आपूर्ति का जिसने संभाला कमान.!

जरूरतें जीवन की फिर भी होती नहीं पूरी,

वो हैं हमारे देेश के भोले-भाले किसान।


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