विदुषी सावित्रीबाई फुले
विदुषी सावित्रीबाई फुले
सावित्री बाई फुले जैसी विदुषी का गुणगान करूँ।
आप जैसी महान जन का तन-मन से सम्मान करूँ।।
मन-वचन कर्म में मैं तो केवल आपका ध्यान धरूँ।
ज्ञान की साक्षात् मूरत आपकी सूरत से श्रीगणेश करूँ।।
आपके कठिन परिश्रम से परिवर्तन होते देखा है।
सच पूछो तो वर्तमान में भविष्य चमकते देखा है।।
पिता खन्दोजी और लक्ष्मी माता की संतान हो।
सबसे अधिक आप ज्ञानवान और बहुत दयावान हो।।
ज्योतिराव फुले जी को पति रूप में पाया था।
शिक्षाविद् होकर फिर अपना स्त्री धर्म निभाया था।।
खूबसूरत विचारों ने प्रिंसिपल का ताज़ पहनाया था।
भारतीय सामाजिक सुधारक बनकर मान बढ़ाया था।।
आप जैसी महान विभूति को करते हैं शत्-शत् नमन।
सोच-ऊर्जा दिखाई थी जिन्होंने सबको ऊँची गगन।।
पति-पत्नी दोनों ही देखो सेवा में रहते थे मगन।
इसीलिए कामयाब हुए थे दोनों के अथक जतन।।
उनके अथक प्रयासों से ही हम भी प्रगति पाते हैं।
इसीलिए तो पावन पटल को उनकी याद से सजाते हैं।।
आओ भाइयों! आओ बहनों! हम भी कुछ कमाल करें।
नई आशा-नई उम्मीदों संग नए साल में धमाल करें।।
चेहरे सबके खिले रहें और सब उत्साहित रहें।
प्रेम और प्रेरणा के अमृत ही सब पिया करें।।
देने वाले दानवीर कर्ण की नगरी में रहती हूँ।
इसीलिए पावन दिवस पर देने के भाव जगाती हूँ।।
आपके स्वभाव के प्रभाव से नहीं होगा ज़िंदगी में अभाव।
सावित्री बाई जी जैसा व्यक्तित्व हमको बहुत सिखाता है।।
नेक विचारक, लेखक बनकर हमें भी सुधारक बनाता है।
सदैव ज्ञान की ज्योत जगाता है तथा आचमन करवाता है ।।
