विषय : सावन की यादें और अनुभव
विषय : सावन की यादें और अनुभव
सावन की यादें और अनुभव साल भर रहते हैं मेरे साथ।
माता पार्वती तथा पिता महादेव जी के शीश पर हैं हाथ।।
सावन की रिमझिम बरखा शुभ संदेश लाती हैं।
आसमान में छाए बादलों को भी संग में लाती हैं।।
कड़कड़ाती बिजली भी तब बहुत अधिक इतराती है।
धरती वासियों की व्याकुलता को हरी-भरी कर जाती हैं।।
इस महीने में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं।
हर-हर महादेव कहने वाले नहीं किसी से डरते हैं।।
नीलकंठ महादेव भक्तों की विपदा सारी हर लेते हैं।
इस माह में बादल, शीतल हवा देखने को मिलते हैं।।
सोमवार के व्रत आदि का महत्व खूब होता है।
पूजा-अर्चना आदि भगवान शिव को समर्पित है।।
चित्त में कैलाशवासी की अद्भुत कला रहती है।
योग-साधु उमापति की सुंदर छवि रहती है।।
इंद्रधनुष की छाँव में हँसना-गाना खूब होता है।
बच्चे से लेकर बुज़ुर्गों तक का मन खिलता है।।
आशुतोष से मिलने का सबसे पावन महीना है।
अनाथों के सनाथ संग ही अब तो हमें जीना है।।
सावन की यादें और अनुभव हर वर्ष कमाल दिखाते हैं।
हम सभी की ज़िंदगी को फूलों के समान महकाते हैं।।
*कवयित्री-डॉ. ऋचा शर्मा "श्रेष्ठा" करनाल (हरियाणा)*
