यह तो मर्जी तुम्हारी है।
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
हमारे को दुखी सुखी हमारी सोच ही बनाती है।
सोच लो कि कांटे हैं गुलाब में
या कि कांटो में गुलाब है।
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
सामने है रखा गिलास
वह आधा भरा है
या कि आधा खाली है।
कुछ भी सोच लो तुम
यह तो मर्जी तुम्हारी है
कभी नहीं बैठेंगे सारे ऊंट एक साथ।
उनके बैठने की इंतजार कर के
सारी रात जागो
या कि सो जाओ परमात्मा पर करके विश्वास,
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
पैसों के लिए तोड़ दोगे रिश्ता
या कि रिश्तो के लिए छोड़ दोगे पैसे।
अब तुम जीवन में रिश्ते पाओगे या पैसा
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
यह संसार तो कर्मभूमि है
कर्म तो करना ही पड़ेगा
और कर्मों का फल तो भुगतना भी पड़ेगा।
अब कैसे करते हो कर्म तुम
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
अपनी सोच बदल कर देखो
अपने दुख को खुशी में बदलते हुए देखो।
अब तुम अपने साथ शैतान को रखोगे या परमात्मा को
यह तो मर्जी तुम्हारी है।
