तीन रंगों की पताका
तीन रंगों की पताका
सिंह-केसरी चलते हुँकार भरते
धूम्रयोनी की तरह मदमाते हुए
प्राण-जीवन की रंभिनी सुर गाती हुई
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
हाँ ये सच है आज करवट लिये तूफान है
पर ये मत समझो हम बेजान हैं
ऐसे हालातों से गुजर कर पाया है हमने
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
हम वह हैं जो अप्रसन्नता प्रकट करते नहीं
वह हैं हम जो मृत्यु से डरते नहीं
हैं हम वह जो मृत्यु से लड़ कर जीतते हैं
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
सुख से आगारों में हम रहते नहीं
भोग-विलास की गंगा में बहते नहीं
अपने रहस्ययों को दुश्मन को बताते नहीं
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
जानते हैं की हजार दुश्मन हमें ललकारेगा
अपनी ऐटमी शक्ति दिखलाकर धमकायेगा
पर वीरों का यह ध्वज कभी डिगा न पायेगा
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
भला कब हम धमकियों से डरे हैं
दिल में जो होता है वह कह जाते हैं
गगन भी झूमता है जब गाते हैं हम
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
हमारी सैन्य-वाहिनियों के आगे
आँधियाँ और अँगारे भी डरते हैं आने
हँसते-गाते मृत्यु से आँख मिलाते हैं
क्योंकि धर्म की तीन रंगों की पताका लहराते हुए।
