बदलते परिदृश्य
बदलते परिदृश्य
वर्तमान समाज के बदलते परिदृश्य को करते हैं स्वीकार।
कभी करते हैं हम इनकार तो कभी कर लेते हैं इकरार।।
बेवज़ह व्यर्थ में कभी नहीं करनी चाहिए हमें तकरार।
आपस में सदैव बँधे रहने चाहिए स्नेह से भरे तार।।
वर्तमान समाज के बदलते परिदृश्य ने हमारी आँखों को खोला।
बहुत सोच-समझ कर ही हमने अपनों से कुछ कहने हेतु बोला।।
बोलने से पहले अनेक बार अपने शब्दों को भी है हमने तोला।
सच्चे व नेक दिल लोगों की भी अवश्य सुनता है शंकर भोला।।
वर्तमान समाज के बदलते परिदृश्य आप सभी को मुबारक।
परिवर्तन या गतिशीलता की तीव्रता आप सभी को मुबारक।।
नवीन वर्ष में प्राप्त होने वाला हर्ष आप सभी को मुबारक।
संघर्ष से प्राप्त होने वाली सफलता आप सभी को मुबारक।।
वर्तमान समाज के बदलते परिदृश्य ने कमाल कर दिखाया।
किसी को निर्धन-बेसहारा तो किसी को धनवान है बनाया।।
कभी अपने हमसे रूठे तो कहीं पर गैरों ने खूब फ़र्ज़ निभाया।
इस प्रकार बदलते वातावरण ने बखूबी हमें जीना सिखाया।।
