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Madan lal Rana

Abstract Inspirational

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Madan lal Rana

Abstract Inspirational

हर घर दीप जले

हर घर दीप जले

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मन ना तिक्त हो

श्रद्धा पूरित हो,

निराशाओं की शाम ढले!

उम्मीदों की आस लिए

आशाओं की सांस लिए,

दीप प्रज्वलित कर हाथ चले!

ना कोई राजा 

ना कोई रंक,

प्रेम और सौहार्द की छांव तले!

दीपक हो चाहे सोने के

या फिर हो मिट्टी के,

रौशन करे जहां को

दीप से बाती मिलकर गले!

दीपक बाती और रोशनी से

सीख लें हम यह सबक खुशी से,

जलकर दीपक की तरह...

करता रौशन जग को चलें!

प्रेमोल्लास से दीपोत्सव मनाएं

खिल उठे वातावरण ऐसे खिलखिलाएं,

दूर हो अंधेरा तन मन का 

हर दिल प्रीत पले!

हर घर दीप जले.....ऐसा,

हर घर दीप जले.!!!



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