व्यर्थ की चिंता क्यूँ तू फल की करता है, क्यों डरता है कर्म करने से पहले तू। व्यर्थ की चिंता क्यूँ तू फल की करता है, क्यों डरता है कर्म करने से पहले तू।
हो गई है पढ़ चुके अखबार जैसी जिंदगी घर के कोने में पड़े हैं रद्दी वाले के लिए हो गई है पढ़ चुके अखबार जैसी जिंदगी घर के कोने में पड़े हैं रद्दी वाले के लिए
उड़ान में हो जो सब हमारे साथी तो फिर ना वो कभी गिरने देंगे। उड़ान में हो जो सब हमारे साथी तो फिर ना वो कभी गिरने देंगे।
मानव स्वीकारो सच को जीवन का शाश्वत सत्य है मृत्यु। मानव स्वीकारो सच को जीवन का शाश्वत सत्य है मृत्यु।
अब न कोई राजतंत्र है ... क्योंकि अब लोकतंत्र का मंत्र है ! अब न कोई राजतंत्र है ... क्योंकि अब लोकतंत्र का मंत्र है !
क्या राजा, क्या रंक भिखारी, करे तेरा दीदार मैंने सज्जा लिया दरबार मैय्या,आजा मेरे द्वा क्या राजा, क्या रंक भिखारी, करे तेरा दीदार मैंने सज्जा लिया दरबार मैय्या,आजा ...