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Dhaval Bamba

Inspirational

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Dhaval Bamba

Inspirational

अचल मन

अचल मन

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तू ही यहाँ राजा है, तू ही यहाँ रंक है,

क्यों डरता है कुछ खोने से तू,

और ! क्यों भ्रमित होता है कुछ पाने से तू,

अचल, अडग मन से तुझे पावन कर्म करने है।


व्यर्थ की चिंता क्यूँ तू फल की करता है,

क्यों डरता है कर्म करने से पहले तू,

अरे ! क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा तू,

अचल, अडग मन से तुझे पावन कर्म करने है।


जो ठाना हे तूने वो तुझे ही करना है,

क्यों भटकता है दूसरो को देखकर तू,

अरे ! चालू तो कर प्रयाण तेरे लक्ष्य की ओर तू,

अचल, अडग मन से तुझे पावन कर्म करने है।


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