गजल
गजल
ऋषि कहते जिंदगी विश्वास, पर सपना नहीं।
जिंदगी के चक्र में सब, पर कोई अपना नहीं।
ठोकरें खाना की यह दस्तूर ही है राह का,
ठोकरें खा और हस, पर बेवजह रोना नहीं।
अनगिनत कांटें बिछे है खून बहना ही सही,
पर चले जब ये कदम मंजिल और, खोना नहीं।
इस जहां में तो घिरे हम पापियों से भी कई
दुष्ट करँगा वार तेरे पीठ पर, डरना नहीं।
बोल तो विद्वान के हर पथ सही राहुल कहे
गैर सपने देख राहों में, तू पर सोना नहीं।
