गुलामी
गुलामी
'गद्य वद्य कुछ लिखा करो कविता में क्या है' - कवि त्रिलोचन (वासुदेव सिंह)
कवि त्रिचोलन जी की तर्ज पर ही एक गद्य काव्य लिखना का प्रथम प्रयास ।
गुलामी अपराध है,
मानवता के खिलाफ
सबसे से बड़ा अपराध,
गुलामी वह शै है जो,
माता, पिता, बेटों और बेटियों,
हर एक इंसानी रिश्ते का
शोषण करती है,
शोषण, एक प्रणाली द्वारा
अकल्पनीय तरीके से,
शोषण एक कुलीन वर्ग द्वारा,
जो बहुत शक्तिशाली है,
और जो एक प्रकाश रंजकता पहनता है।
दासता ने जन्म दिया है, क्रूरता,
नस्लवाद, बलात्कार, लालच
और शोषण को,
दासता स्वीकार लेना सबसे
नापाक अपराध है।
अपमान,सजा, लिंचिंग,
यहां तक कि हत्याएं भी इसकी
मुख्य सामग्री हैं;
इस मूर्खता को समाप्त करना होगा ,
इस अज्ञानता के इस कपटपूर्ण
सिलसिला को रोकना हैं ,
यह मानव जाति के
लिए लाज़मी है,
क्योंकि इंसानों की कीमत
इससे कहीं ज्यादा है।
अज्ञानी प्रतिभाओं पर शर्म
आती है जिन्होंने सोचा
कि ब्रह्मांड सपाट है।
गुलामी एक बीमारी है,
नस्लवाद एक बीमारी है,
और भेदभाव एक कोड़ है।
जो ईन्सानी समाज की
रगों में जहर घोलता है,
गुलामी प्रतिकारक है,
गुलामी एक पाप है।
हमें समानता की
घंटियाँ बांधनी होगी ,
इस भीषण गंदगी को मिटाने
और साफ करने के लिए।
समान रूप से प्यार करने के लिए,
इसलिए की दुनिया जीने लायक बनी रहें,
इसलिए की सांस में गुलामी के
गंदले धुंए की जगह,
लहलहाती महक का अहसास हो,
इसलिए की हम जिंदा है,
और जिंदगी की जीत सुनिश्चित
करना हमारा फ़र्ज़ है।
