रूह जले तो
रूह जले तो
रूह जले तो कुंदन हैं।
देह जले बस बंधन हैं।
अमिट कुछ नहीं बस यादें
यादें भी बस बोधन हैं।
दुख तो है ही क्षणभंगुर
सीख मनोबल पौधन हैं।
कर्ता को छोड़ो मीलों
कर्म करें वो भूधन हैं।
रिश्तें नाते यह बस मन
बहलाने के साधन है।
रूह जले तो बस कुंदन
देह जले बस बंधन हैं।