STORYMIRROR

Rahul Wasulkar

Abstract

4  

Rahul Wasulkar

Abstract

रूह जले तो

रूह जले तो

1 min
384

रूह जले तो कुंदन हैं।

देह जले बस बंधन हैं।


अमिट कुछ नहीं बस यादें

यादें भी बस बोधन हैं।


दुख तो है ही क्षणभंगुर 

सीख मनोबल पौधन हैं।


कर्ता को छोड़ो मीलों

कर्म करें वो भूधन हैं।


रिश्तें नाते यह बस मन

बहलाने के साधन है।


रूह जले तो बस कुंदन 

देह जले बस बंधन हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract