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Rahul Wasulkar

Others

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दोहे (रामजी हनुमान जी के भेट से लेकर विदाई तक)

दोहे (रामजी हनुमान जी के भेट से लेकर विदाई तक)

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कोसलराज दशरथ पुत्र , ऋष्यमूक के समीप ,

साधु बन मिले हनुमान , चरण छू जले दीप ।


बाली का हुआ वध फिर , वानरराज राजे ।

माँ सीता की खोज में , वानर सेना सजे ।


लघिमा शक्ति के बल को , फिर से किया जागर ,

विराट रूप धारण कर , लांघ गए जो सागर ,


पवनपुत्र ने रावण को , बोध कर समझाया ।

रुद्र अवतार धर के , लंका को जलाया ।


पराक्रमी महाबली , युद्ध करे भयंकर ।

संहार करे पाप का , जैसे शिवशंकर ।


शक्ति बाण का प्रहार , लक्ष्मण हुए मूर्छित ।

युद्धगनावा में करे , द्रोणागिरि अंकुरित ।


पवनपुत्र जी कि पीठ पर , राम जी हुए सवार ।

नाभि पर किया प्रहार , रावण का संहार ।


राम भक्ति का संसार , मांगे रे प्रमाण ।

फाड़ कर छाती अपनी , अटूट भक्ति निर्माण ।


राम जी का हुआ समय , विष्णुलोक को चले ।

पवनपुत्र जी से वो फिर , कभी भी नही मिले ।


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