सब्र करो,पर इतना भी नही, कोई दे चोट तुम्हे मणभर की! सब्र करो,पर इतना भी नही, कोई दे चोट तुम्हे मणभर की!
ऐसा कुछ तो करते चलो तुम दुष्ट शर्मिंदा हो जाये। ऐसा कुछ तो करते चलो तुम दुष्ट शर्मिंदा हो जाये।
ठोकरें खाना की यह दस्तूर ही है राह का, ठोकरें खा और हस, पर बेवजह रोना नहीं। अनगिनत कांटें बिछे है ... ठोकरें खाना की यह दस्तूर ही है राह का, ठोकरें खा और हस, पर बेवजह रोना नहीं। अन...
इक्कीस वर्ष बाद जब, उधम गए परदेश डायर को छलनी किया, यूँ काट दिया क्लेश इक्कीस वर्ष बाद जब, उधम गए परदेश डायर को छलनी किया, यूँ काट दिया क्लेश
रोज-रोज हो रहे हैं चीरहरण यहां, बहू-बेटियां होती हैं रोज-रोज यहां, दुष्ट-दानवों-असुरों की शिकार यह... रोज-रोज हो रहे हैं चीरहरण यहां, बहू-बेटियां होती हैं रोज-रोज यहां, दुष्ट-दानवो...
मानवता खो देते हैं जो दुष्ट वृत्ति उनकी जलाना होगा मानवता खो देते हैं जो दुष्ट वृत्ति उनकी जलाना होगा