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Phool Singh

Abstract

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Phool Singh

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दुष्ट शर्मिंदा हो जाये

दुष्ट शर्मिंदा हो जाये

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ऐसा कुछ तो करते चलो तुम 

दुष्ट शर्मिंदा हो जाये 

कहने की कुछ हिम्मत करे ना 

खुद ही निंदा हो जाए।।


दोगला चेहरा उतार कर उसका 

खुद ही नंगा हो जाये 

पानी मांगता दिखे हर पल 

कोई भारी गलती कर जाए।।


संभाल पाये ना खुद को 

पैदा स्थिति ऐसी हो जाये 

मदद को तरसे हर दम 

ना मदद किसी से पा जाए।।


माहौल बने एक दिन ऐसा 

खुद ही अकेला हो जाये 

सुननें वाला कोई ना उसकी 

चाहे चरणों में सबके पड़ जाए।।


वजूद उसका मिटा दो ऐसे 

अस्तिव ही धूमिल हो जाये 

सबकी खुशियाँ छिनने वाला 

जिन्दगी का सबक वो पा जाए।।


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