तुम हर गुज़रते दिन में तुम से दूर होना चाहता था। हो गया हो दूर तो अब दिल क्यूँ खुद पर। तुम हर गुज़रते दिन में तुम से दूर होना चाहता था। हो गया हो दूर तो अब दिल क्यूँ...
खाकी खुद शर्मिंदा है----------------। खाकी खुद शर्मिंदा है----------------।
हर एक बस्ती में जैसे अब तो ये मामूल लगता है जाने कब से इन लाशों को बार बार पढ़ता हूँ हर एक बस्ती में जैसे अब तो ये मामूल लगता है जाने कब से इन लाशों ...
मानसिक संतुलन तुम खुद का सुधारो बने जो फिरते सुजान हो मानसिक संतुलन तुम खुद का सुधारो बने जो फिरते सुजान हो
फटे हुए कपड़े मेरे, जूतों से झाँकते पैर मेरे फिर भी अपने इन हालातों पर जरा भी ना शर्मिंदा... फटे हुए कपड़े मेरे, जूतों से झाँकते पैर मेरे फिर भी अपने इन हालातों पर ...
नफरतों के बीच मुहब्बत आज बहुत शर्मिंदा है। नफरतों के बीच मुहब्बत आज बहुत शर्मिंदा है।