मुहब्बत छोड़ दी हमने
मुहब्बत छोड़ दी हमने
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मुहब्बत छोड़ दी हमने अब दूसरा काम धंधा है
कौन रोज़ धोखा खाये,क्यूँ सुने की बेगैरत बंदा है।
तुम हर गुज़रते दिन में तुम से दूर होना चाहता था।
हो गया हो दूर तो अब दिल क्यूँ खुद पर शर्मिंदा है।
एक तेरे साथ पाने को हमने हर साथ छोडा है
मगर तुमने जो छोड़ा वही तो अपना घरोंदा हैं
तुम गुजर रही थी वही से जहाँ वादा था कि मैं मिलूंगा तुम्हे
ख़ुदाया भीड़ की आड़ में मत पूँछो कि मर गया वो या ज़िंदा है।