हाँ एच आई वी पॉजिटिव हूँ मैं!
हाँ एच आई वी पॉजिटिव हूँ मैं!
क्या हुआ चौक गए! क्यों?
हो जाए गर कोई एच आई वी पॉजिटिव
क्यों जहां भर की वो इंसान शर्मिंदगी उठाए।
ज़रूरी तो नहीं ये असंवैधानिक
संबंधों का परिणाम हो।
क्या ऐसा मुमकिन नहीं ये
चिकित्सीय लापरवाही का अंजाम हो।
चूक हुई जो किसी और की
क्यों उसका खामियाजा कोई और भुगते।
दर्द के आँसू क्यों किसी बेगुनाह की
आँख से छलके।
संकीर्ण मानसिकता का जामा उतारो
कहते जो खुद को महान हो।
मानसिक संतुलन तुम खुद का सुधारो
बने जो फिरते सुजान हो।
बहुत उठा ली शर्मिंदगी
अब और न ये नज़रें झुकेंगी
है मशाल ये आज जो धधकी
आजीवन ये मशाल जलेगी।
होंगे बहुत लोग यहां ऐसे जो
अनजाने में शिकार हुए हैं।
किसी और की गलती ढोकर
खुद लज्जित सुबह-शाम हुए हैं।
भर दी है हुँकार आज ये
अभी तो और टँकार उठेगी
एच आई वी पॉजिटिव हुए तो क्या
अब न कहीं ये नज़र झुकेगी।
आवाहन मैं आज हूँ करती
आओ साथियों बढ़ाओ हाथ।
ख़ुशियों के मिल दीप जलाएं
ये जीवन भी है त्योहार।