STORYMIRROR

Devendra Tripathi

Abstract

4  

Devendra Tripathi

Abstract

दोस्त

दोस्त

1 min
406

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसे कोई बनाता नही, बस बन जाती है।।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसे कोई बांधता नही, बस बंध जाती है।।


एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जो न जात न धर्म, बस जुड़ जाती है।।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसकी न कोई सरहद, बस हो जाती है।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसमे कोई मिलावट नही, बस मिल जाती है।।


एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसमे कोई बनावट नही, बस बन जाती है।।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जिसमे कोई मलाल नही, बस हो जाती है।।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,


जिसका कोई हिसाब नहीं, बस हो जाती है।।

एक ऐसा रिश्ता है दोस्ती,

जो बेमिसाल है, अनमोल है, बस हो जाती है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract