कशमकश जिंदगी की..
कशमकश जिंदगी की..
कशमकश जिंदगी की कुछ ऐसी है,
जो किसी को बताया न जा सके,
इसका दर्द हर किसी को समझाया न जा सके,
झूलता रहता हूँ अक्सर अपने ही कुछ सवालों में,
जिसका हल कुछ निकाला न जा सके।
किसको पड़ी है जो इस दर्द को समझे,
किसके पास समय है जो आ के ये पूछे,
लगता है हर शख्स मुझसे ज्यादा परेशान है,
बस फर्क इतना है कि कुछ कहता नहीं है,
कशमकश जिंदगी की कुछ ऐसी है।
कभी बैठो तो पल दो पल एक दूजे के साथ,
छोड़कर दुनियादारी, और ढेरों सवाल,
कुछ पल जी ले अपने हिस्से की खुशी भी थोड़ी,
भूल जाएं दो पल के लिए रोज की चिकचिक,
परेशानी, रोष और अस्वीकृति
शायद कोई जवाब मिल जाये,
कशमकश जिंदगी की कुछ ऐसी है।
यह सोच भी ख्वाब सी ही रह जाती है,
फुरसत के लिए भी फुरसत खोजनी पड़ती है,
अपनी भावनाओं को भी सौ बार तौलना पड़ता है,
कुछ बोलने से पहले बहुत कुछ सोंचना पड़ता है,
कशमकश जिंदगी की कुछ ऐसी है।
