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Janardan Gore

Abstract

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Janardan Gore

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लाख गम

लाख गम

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लाख गम

लाख गम हैं संग 

फिर भी जगी हैं उमंग

एक आस के साथ

की,पूरी होगी कोई बात !!१!!


थमी हैं कुछ पल सांस

मन में दबी हैं एक आस

सपने जगा कर हर दम

चलना हैं मिलाकर कदम से कदम !!२!!


जिंदगी में गमो की कमी नही

दुनिया चलती हैं, थमी नही

एक दिन हाथ आएगी खुशी

कहीं ना रहेगी फिर खामोशी !!३!!


लाख गम भी ना रहेंगे कही

रसते सब दिख जायेंगे सही

बस मिलनी चाहिए राह एक नयी

हर बात होगी फिर मन चाही !!४!!


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