Janardan Gore

Tragedy

4  

Janardan Gore

Tragedy

"गरीबो की दिवाली"

"गरीबो की दिवाली"

1 min
397


गरीब की दिवाली, अलग होती है

क्यूँकि, जिन्दगी हर दिन रुलाती है  

कपड़ों की,चमक दमक खयालों से दूर

गरीबी की, दुनिया ही होती मशहूर !!१!!


रहने का कोई ठिकाना नहीं होता

गरीब गरीबी में हर पल है रोता

दो वक्त की रोटी, मिले बहुत है

गरीबों की दुनिया में दर्द बहुत है !!२!!


गरीबों की दिवाली गुजरती अंधेरे में

हर पल गुजरती, जिन्दगी खतरे मे

समय पर मिलता नहीं कभी राशन

होता नहीं कभी, दिवाली का जशन !!३!!


यहा लोग पटाखों में पैसे लगाते हैं

बस दूर से ही गरीबी का मजा लेते हैं

दिवाली फूटपाथ पर गरीब की होती है

गरीब जागता है ,तो दुनिया सोती है  !!४!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy