कफन यादों का
कफन यादों का
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कुछ गुनगुनाने की कर रही हूॅं
मैं पूरी कोशिश
मगर गुनगुना नहीं पा रही हूॅं,
भूलने की कोशिश में हूॅं
वो सारे सतरंगी पल
मगर भुला नहीं पा रही हूॅं,
मिटाना चाहती हूॅं खुशबू
तेरी यादों की जहन से
मगर मिटा नहीं पा रही हूॅं,
दफनाना चाहती हूॅं
तेरे वादों को अतीत में ही
मगर दफना नहीं पा रही हूॅं।