Dr. Priya Kanaujia
Tragedy Classics Crime
वो कहते हैं हम बदल नही पायेंगे तुम्हारे लिए प्यार में
उनको याद ही नहीं बदल दिया हमें उनके इजहार ने,
हमने चाहा ही नहीं कभी वो बदले खुद को हमारे लिए
हम मर मिटे सच्चे इश्क की तलाश में अब कैसे जिएं।
छल
कलयुगी प्यार
राह
ज़िद
मेरा मीत
वहम
अनकही
कड़वाहट
उलझन
मैं
अपने हाथों से छूकर क्योंकि इनके लिए मैं शायद एक ब्रेल-लिपि हूं ! अपने हाथों से छूकर क्योंकि इनके लिए मैं शायद एक ब्रेल-लिपि हूं !
इसीलिये बड़ी चालाकी से चार लोगों में एक कांधा स्त्री का मिलालिया। इसीलिये बड़ी चालाकी से चार लोगों में एक कांधा स्त्री का मिलालिया।
अगर रखना है कदम, तो आगे रख, पीछे खींचने के लिये लोग हैं अगर रखना है कदम, तो आगे रख, पीछे खींचने के लिये लोग ...
मुझे समझने के लिए.. तूम्हारे पास जजबात होने चाहिए... मुझे समझने के लिए.. तूम्हारे पास जजबात होने चाहिए...
भागा वो हरदम तेरी ख्वाब भी बैठ देखने अब न कोई गलीचे लगाऊंगा I भागा वो हरदम तेरी ख्वाब भी बैठ देखने अब न कोई गलीचे लगाऊंगा I
आज के इस बसेरे मे बेनकाब घूमते उन झुलम के चेहरो में कितनी हैवानियत है ! आज के इस बसेरे मे बेनकाब घूमते उन झुलम के चेहरो में कितनी हैवानियत है !
कभी सोचा न था . . ज़िंदगी यूँ पहेली बनकर रह जाएगी! कभी सोचा न था . . ज़िंदगी यूँ पहेली बनकर रह जाएगी!
क्योंकि पहले मैं मकान में रहती थी अब मुझे घर मिल गया है। क्योंकि पहले मैं मकान में रहती थी अब मुझे घर मिल गया है।
अगर मोहब्बत यही है जाना, तो माफ़ करना मुझे नहीं है ! अगर मोहब्बत यही है जाना, तो माफ़ करना मुझे नहीं है !
नेता जी, नेता जी मुझको भी दिलवादो राशन। नेता जी, नेता जी मुझको भी दिलवादो राशन।
होलिका जश्न मनाती है अपनी सोच के आईने को मिलकर जलाकर अच्छे से सब चमकाते है। होलिका जश्न मनाती है अपनी सोच के आईने को मिलकर जलाकर अच्छे से सब चमकाते है।
झूम -झूम के नाच-नाच के पीते भांग भी मौजों में... झूम -झूम के नाच-नाच के पीते भांग भी मौजों में...
पागल हो तुम जो उसी मोड़ पर खड़े हो तुम्हारी सोच से आगे निकल चुकी है वो। पागल हो तुम जो उसी मोड़ पर खड़े हो तुम्हारी सोच से आगे निकल चुकी है वो।
खिलेंगे मित्र मुरझाए फूल फिर से, हमारी दोस्ती में सच का शबनम है। खिलेंगे मित्र मुरझाए फूल फिर से, हमारी दोस्ती में सच का शबनम है।
क्योंकि मासूम इस दिल को तो सदैव ही भाया, उससे मिलने वाली वफ़ा का छाया। क्योंकि मासूम इस दिल को तो सदैव ही भाया, उससे मिलने वाली वफ़ा का छाया।
बाबा वापस चले आओ आपके बिना बहुत डराती है। बाबा वापस चले आओ आपके बिना बहुत डराती है।
बदलते वक्त में अपनों को पराए होते देखा! बदलते वक्त में अपनों को पराए होते देखा!
ऑक्सीजन दी संग में मैंने, इस प्रकृति का सिंगार था मैं ऑक्सीजन दी संग में मैंने, इस प्रकृति का सिंगार था मैं
सब काट रहे गला, भरोसे की धार से, मत पहन तू, अति विश्वास के हार को सब काट रहे गला, भरोसे की धार से, मत पहन तू, अति विश्वास के हार को
हाथ सबके सने खून से, रंग जिनका एक सा था ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ। हाथ सबके सने खून से, रंग जिनका एक सा था ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ।