मेरा मीत
मेरा मीत
इस क़दर उसकी खुशबू फिज़ा में जो बिखरी
मेरी सांसों को एक नई जान सी मिल गई है,
उसके नाम का जिक्र जब भी होता है सामने
मेरी धड़कनें रुकने का नाम ही नहीं हैं लेती ,
उसके होंठों से अपना नाम सुनते हैं जब भी
मानो मीठी सी मिश्री कानों में घुलने लगती,
मैं हूं एक आग का दरिया बुझता हुआ ख्वाब
उसने मुझे संभाला बनकर शीतलता चांद की।