कड़वाहट
कड़वाहट


मुझसे जब मन भर जाए तो बता देना मुझे
बिना बोले मुंह मोड़ कर जाना अच्छा नहीं,
कभी मेरी हालत पे तरस मत खाना यूं तुम
उसी मंज़िल जाना जहां लगता है तुम्हें सही,
मुक्त कर दिया अब तुम्हें इस बंधन से क्योंंकि
कहने पे जताया जाए वो शायद प्यार ही नहीं।