राह
राह
कोई भी किसी का सगा नही होता है जमाने में
खुद रास्ता ढूंढना पड़ता है ज़िंदगी के सफ़र का,
लाखों याद करेंगे तुम्हें अपने फुरसत के लम्हों में
मगर दुख की बारिश में भीगना तुम्हें अकेले ही है,
सबसे पहले वही भागेगा छोड़कर के बीच रास्ते में
जिसने वादा किया होगा साथ निभाने का हर पल,
बहुत से अजीब बहाने बनेंगे तुमसे पीछा छुड़ाने में
तो क्यों ना चला जाए अकेले ही अनजान डगर पे।