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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

भाव दिया तुमको बहुत

भाव दिया तुमको बहुत

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भाव दिया तुमको बहुत

फिर भी न तुमको मैं भाया

अपना सुख चैन खोकर

सोचो जरा मैंने क्या पाया?

तू मेरे दुनिया में आई

मेरे चेहरे पर मुस्कान लाई

मैंने सोचा चलो मिला कोई  

जो मुझको खूब समझता है

तुमने भी भरोसा दिलाया

हाँ मैं तुमको समझती हूँ

इसी कारण शायद प्यार हुआ

धीरे धीरे ही सही इकरार हुआ

तभी मन के अंतस से आवाज आई

तुम दोनों हो कई जन्मो के साथी

पर अब तुम न जाने क्यु डर गई

अंदर ही अंदर मर गई

ऐसा तुम क्यु कर गई

मिलने न आई सीधे घर गई

तेरे ही खातिर ही हमने 

संजो़ये थे कितने सपने

भला बुरा कहते है सभी

जो भी थे मेरे अपने

ऐसा क्या गुनाह किया

जो तुमने मेरा उपहास किया

पता चल जायेगा तुमको भी

जब गुजरेगी तुम पर भी

मेरी ये दुआ है फिर भी

तुम खुश रहो सदा ही

प्यार मेरा है गहरा

ये आकर तुम पर ही ठहरा

उसे भाता है सिर्फ तेरा

व्याकुल मन है मेरा

तेरे बिन क्या होगा मेरा



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