बात दब गई
बात दब गई
क्या हुआ !!!!!
उस डरी सी, सहमी सी, को देखकर
जाने कितने ही सवाल उठे
घरवालों की निगाह में
उसने सहमी नज़र से देखा ....
सबको
अम्मा, बाबूजी , बहन ....
सबकी तरफ
फिर, अम्मा ने दबाया उसे
अपने आँचल में
बहन पीछे से लिपट गई
साफ़ किया ...
खून
जो निकल रहा था , उसके ज़िस्म से
फिर ,,,,,,,,
तय किया
सबने आपस में
दबाओ, बात को
भलाई है
उसने अजीब सी नज़र से देखा
अपनों को ....
उसी रात,, फिर उसने खुद ही बाँधा
दुपट्टे को ..
अपनी गर्दन से
बात दब गई थी.