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Rudra Prakash Mishra

Others

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Rudra Prakash Mishra

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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बनाए कोठियाँ, मकां, आरामगाह कई ।

मगर मुझे कभी कहीं नहीं आराम मिला ।।

मैं हूँ मजदूर , बनाए कई मंदिर - मस्जिद ।

नहीं उनमें मिला खुदा कहीं , ना राम मिला ।।

हुए बे - आबरू , रुसवा हुए जाकर के वहाँ ।

तेरे कूचे में बहुत खूब इंतजाम मिला ।।

दर्द, आँसू , जुदाइयाँ और इंतजार फकत ।

इश्क वालों का हमेशा यही अंजाम मिला ।।

हो के बर्बाद , अब फिरे है वो मारा - मारा ।

दिल लगाने का था मिलना यही इनाम , मिला ।।

साथ लेकर सुकून आई आज है मुर्दन ।

मुद्दतों बाद मिरे दर्द को आराम मिला ।।




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