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Blogger Akanksha Saxena

Tragedy

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Blogger Akanksha Saxena

Tragedy

ज़िस्म की आवाज़ को

ज़िस्म की आवाज़ को

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ज़िस्म की आवाज़ को

रोज सुना तुमने मेरे यार पर,

मेरे जज्बातों का 

तुमने रखा न कोई ख्याल


इस विरां दिल की हवेली को 

दे दिया जालिम तेरा ही नाम

हो ग़ैरत तो देना तुम

मेरे कुछ सवालों के जवाब


दुनिया की चकाचौंध में बोलो

देखे तुमने कितने चाँद

मेरे वजूद को बेच के तुमने

कैसे बनायी अपनी पहचान


बिस्तरों में रोज तुमने

लूटे कितने दिलों के ताज

मेरे नाम को भूल के तुमने

याद किये बोलो कितने नाम


हर तड़प को हवस में डुबोकर

कैसे बनायी तुमने अपनी शराब

हर रात को हमने भी पिया है

पिया तेरी याद का सुनहरा वो जाम।


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