Blogger Akanksha Saxena

Romance

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जाँ जिसको था माना मिट गयी वो ग़ैरों पर

जाँ जिसको था माना मिट गयी वो ग़ैरों पर

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अब इश्क़ की गलियों में भटका नहीं करते हम 

हम कितने नादाँ थे हम कुछ न समझते थे 

उसकी एक अदा पर हम जान छिड़कते थे

फिर पता चला हमको उनकी उस फितरत का

वो प्यार समझते नहीं न प्यार वो करते हैं

समझ आता है उनको पैसा भाषा पैसे की समझते हैं

उनको है नहीं मालूम कि

अब हुस्न की गलियों में भटका नहीं करते हम

इन मखमली निगाहों में फिसला नहीं करते हम


जाँ जिसको था माना मिट गयी वो ग़ैरों पर

अब रंगीन पहेलियों में उलझा नहीं करते हम

अब इश्क़ की गलियों में भटका नहीं करते हम


दिल होता है प्यासा फिरता है मारा मारा

अपनी इस धड़कन का सौदा नहीं करते हम

अब इश्क़ की गलियों में भटका नहीं करते हम

इस धोखे की चाँदनी में डूबा नहीं करते हम


पीछे है पड़ा मेरे बर्बादी का साया

उसको है नहीं मालूम कि अब बहका नहीं करते हम

अब इश्क़ की गलियों में भटका नहीं करते हम


आज वादों से सजी महफिलें कल गुमनामी की रातें

पलकों का नींद से अब झगड़ा नहीं करते

हम अपने करियर को बर्बाद न करते हम

अब इश्क़ की गलियों में भटका नहीं करते हम



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