बहुत कुछ हार गए हम तुम्हें अपना समझ कर के अब खुद अपना गुनहगार मैं नहीं बनूँगी बहुत कुछ हार गए हम तुम्हें अपना समझ कर के अब खुद अपना गुनहगार मैं नहीं बनूँगी
धुँधली सी परछाईं जानते है अपनी नहीं है बन चुकी है पराई धुँधली सी परछाईं जानते है अपनी नहीं है बन चुकी है पराई
पंख परिवारों की शान रखते हैं, हौसलों से ऊंची उड़ान रखते हैं। उड़ान हो ऊंची तो लक्ष्य पंख परिवारों की शान रखते हैं, हौसलों से ऊंची उड़ान रखते हैं। उड़ान हो ऊंची...
देख! द्रवित होते अब गांधी, गद्दारों से देश भरा, शिक्षा के मंदिर में देखो, हथियारों से देख! द्रवित होते अब गांधी, गद्दारों से देश भरा, शिक्षा के मंदिर में देखो, हथि...
जो बातें दिल से होती थी, अब तो निगाहों से भी न हो पाती है। जो बातें दिल से होती थी, अब तो निगाहों से भी न हो पाती है।
ऐसे वादे हर प्रेमी के ज़ुवां से लफ्ज़ बन कर दिल बहलाते हैं उन चुनावी वादों की तरह जो क ऐसे वादे हर प्रेमी के ज़ुवां से लफ्ज़ बन कर दिल बहलाते हैं उन चुनावी वादों की ...