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Debasis Maity

Tragedy

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Debasis Maity

Tragedy

मैं चाँद हूँ

मैं चाँद हूँ

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मैं चाँद हूँ प्रेमी का,

तोड़ कर ले जायेंगे मुझे आस्मां से उपहार बना के

ऐसे वादे हर प्रेमी के ज़ुवां से लफ्ज़ बन कर दिल बहलाते हैं

उन चुनावी वादों की तरह

जो कभी सच न हो पाते।


मैं चाँद हूँ माता-पिता का,

न पेट भर खाना न बीमारी का इलाज

तब भी सुखी हैं वे , ऐसा दिखावा

मेरे बड़े होने के बाद भी

जैसे चुनाव के बाद भी

कुछ नहीं बदलता ।


मैं चाँद हूँ शिशु का,

रात रात भर देखता रहता हूँ

भूखे चाँदों को,मां की गोदी में

मुझे ताकते-

मेरी रौशनी से न मिटते

भूख किसी भी शिशु की

राजा चाहे कोई भी हो ।

    


                        





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