जब भी बारिश की बूँदों को...
जब भी बारिश की बूँदों को...
जब भी बारिश की बूँदों को
हाथों पे तुम पाओगे
मेरी याद छिपाकर तुम
आँखों को बहुत रूलाओगे
जब भी बारिश की बूँदों को...
जब भी अपनी झूठी हँसी से
अपना दर्द छुपाओगे
यादों की चद्दर सिकुड़न में
अहसास हमारा पाओगे
जब भी बारिश की बूँदों को...
जब कभी भी तुम स्वप्न में
कोई रागिनी गाओगे
अपने सुरों की गहराई में
मेरी तड़प ही पाओगे
जब भी बारिश की बूँदों को...
गंगाजल की जब कुछ बूँदें
अंतिम प्यास बुझायेगीं
उन बूँदों की तासीर में तुम
तस्वीर हमारी पाओगे
जब भी बारिश की बूँदों...
नफरत छोटी प्रेम बड़ा है
ऐ! मन लिखते तुम जाओगे
जब भी बारिश की बूँदों को...