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Blogger Akanksha Saxena

Inspirational

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Blogger Akanksha Saxena

Inspirational

नयी जिंदगी इतिहास नया चाहती है

नयी जिंदगी इतिहास नया चाहती है

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उठो! जिंदगी में नये प्राण फूकों

नयी जिंदगी कद नये चाहती है 

दिशाओं को बदलो मेहनत के दम से

हवायें अब रूख नया चाहती हैं


भुजायें तुम्हारी न हों जायें बुजदिल

तुम्हें है कसम बन जाओ भगत सिंह

निगाहें तुम्हारी न हो जायें स्थिर

तुम्हें हैं कसम बन जाओ बोस जी


बदल दो तस्वीरें बदल दो धरातल

बदल दो समय की हर लकीर अंधी

तुम्हीं तो दिया है तुम्हीं हो बाती

तुम्हें है कसम तुम्हीं लाओ आँधी


आँधी वो ऐसी जो असत्य उड़ा दे

तूफान ऐसा जो बुराई उखाड़े

तुम बन जाओ बादल तुम्हीं हो बिजली

मिटा दो जहां से नफरत की हस्ती 


आज ही मुहुर्त है आज करो बिस्मिल्लाह 

खोलों दिलों को जिसमें रहे प्रेम

परिंदातुम हो इंसान

कि हो शिकार राजनीति 


तुम को भी जलना और उसको

भी गढ़नाकरते हैं जो नफरत का कारोबार 

बर्बाद हर गुल बर्बाद है

गुलिस्तातुम राह बदलो तुम प्यास बदलो


तुम श्वांस खोजो तुम धड़कन बदलो 

तुम्हीं से टिका है जमीं ओ आसमाँ 

सत्य शांति प्रेम विकास मार्ग पकड़ो

कसम है तुम्हें न कठपुतली बनना


तुम्हारा जन्म प्रेम की हो परिभाषा

न झुके सिर वतन का न भीगें मां आंच

लहर माँ का आचल तरक्की तेरी चाहता है 

नया जीवन सोच नयी चाहता है 


रातें भी तेरी और दिन भी है तेरा

हर मंजिल का सफर भी है तेरा

मंजिल का हर पत्थर तुझे चाहता है 

पसीने की बूंदों से चलो लिखेगें कहानी


वो इतिहास होगा हर भारतीय की जुबानी

कल पूरा विश्व हमें ही पढ़ेगा बनना होगा

पुन: विश्व गुरू खुद को

यह नफरत से सम्भव नहीं होने वाला 


यह राजनीत से सम्भव नहीं होने वाला

यह सम्भव होगा सिर्फ़ प्रेमभाव से

क्योंकि नयी जिंदगी प्रेम स्पर्श चाहती है 

नयी जिंदगी मैं से हम चाहती है 


उठो ! जिंदगी में नये प्राण फूंकों

नयी जिंदगी सिर्फ प्रेम शुरूआत चाहती है। 

प्रेम शब्द को भी मैला कर डाला गया है 

मानव शब्द के भी मायने धुंधला गये हैं 


तुम पोंछ डालों यह कालिख हर आयने से

तुम बनो एक क्रांति रचो स्वंय इतिहास 

क्योंकि नयी जिंदगी इतिहास नया चाहती है। 


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