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DR.SANTOSH KAMBLE { SK.JI }

Abstract Tragedy

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DR.SANTOSH KAMBLE { SK.JI }

Abstract Tragedy

एक शुरुआत

एक शुरुआत

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काट देते हैं हाथ, सहारा देने वाले हाथ

तोड़ देते हैं दिल, कर के दिल जोड़ने वाली बात

किस का साथ दे, किस के साथ चले,

सीने से लगाकर, करते हैं पीठ पर आघात

किस की सुने बात या किसके पीछे चले,

काम तो कोई नहीं करता है, बस वादों की बरसात


आता है हर कोई एक नयी बात लेकर,

एक नया ख्वाब लेके, लेकर एक नयी सौगात


खिलौना बना कर, हर कोई तमाशा ही देखता है,

कुचलकर भावनाओं को, दबा कर हर जज्बात


रंग गधं की बातें यहां, जाति पाति का वाद,

रंग रंग के झेंडे यहां, प्रांत प्रांत की बात

भूल ही जाते है हमें, जिन्हें हम नेता बनाते हैं,

बाद में ठेंगा दिखाते हैं, बढ़ाकर अपनेपन का हाथ


नहीं फँसना है अब हमें, कुछ नया कर दीखाना है,

तोड़ेगे जंजीर गुलामी की, करो अब ऐसा आघात


नहीं सहेंगे अब कुछ भी, ना होने देंगे अन्याय,

आयेगा सुरज क्रांती का, मीटेगी जुल्म की रात।


देश है अपना, हम है देश के, तब ये भेदभाव कैसा,

हाथ से हाथ मिलाये सब के, करे दिल से दिल की बात।

तेरा मंदिर, मेरी मस्जिद, अब ये भेद है कैसा,

साथ देंगे एक दूसरे का अब हम, करे नई शुरुआत।


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