नजर
नजर
नजर से इरादे जाहिर होते हैं
नजर से वजूद बनते बिगड़ते हैं।
आँखो से जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।
नजर ऐसी रखो कि,
इमान कायम रहे।
नजर में कदर,
नजर में सब्र रहे।
नजर में प्यास हो तो,
अहसास बिगड़ते हैं।
आँखो में जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।
नजर में आदायगी हो
नजर में सादगी हो।
नजर में आरजू हो,
नजर में ज़िन्दगी हो।
नजर में आस हो तो,
अंदाज सारे बदलते हैं।
आँखो में जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।
नजर में नूर हो,
नजर ज़िन्दगी से भरपूर हो।
नजर इतनी पाक हो कि,
हर ऐब से दूर हो।
नजर के होते ही साफ,
सारे नजारे बदलते हैं।
आँखो में जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।
नजर से नजर मिले तो कोई,
अंचल नहीं चेहरा सँवारे।
नजर से नजर मिलते ही,
पराये भी हो जाएं तुम्हारे।
नजर से,नजरिये से ही सब,
रिश्ते बिगड़ते,सुधरते हैं।
आंखों में जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।
अच्छा बुरा कुछ नहीं होता है,
सब नजर की बात है।
नजर हो हद में तो,इस से बड़ी क्या बात है।
नजर की बात है,नजर से ही होगी,
नजर से ही ताल्लुकात सँवरते हैं।
आंखों में जब मिट जाती है हया,
तब हर एक रिश्ते बिखरते हैं।